निजी बैंकों से टक्कर लेंगे सरकारी बैंक, 1 लाख प्रोफेशनलों की होगी भर्ती
ग्राहकों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए अब सरकारी बैंकों ने अपना तरीका बदल दिया है। निजी बैंकों से टक्कर लेने के लिए अब सरकारी बैंक प्रोफेशनल लोगों के साथ मिलकर काम करना चाहती है। अब बैंक ऐसे लोगों को रखना चाहती है, जिनमें कुछ अलग योग्यता है। ऐसे ही लोगों के लिए अब अच्छी खबर आ रही है। देश की बैंक 2019-20 के वित्तीय वर्ष में 1 लाख कर्मचारियों की भर्ती करने जा रही है। इनमें भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक शामिल है। अब बैंक ऐसे टैलेंट को खोज रही है जो कि वेल्थ मैनेजमेंट, विश्लेषण, डिजिटल सेवा और ग्राहक सेवा प्रमुख है। बैंक का मुख्य फोकस ऐसे लोगों की भर्ती करके बिजनेस को बढ़ाना है।
कर्मचारी कम अधिकारी होंगे ज्यादा
आने वाले समय में जब 1 लाख लोगों की भर्ती बैंकों में हो जाएगी, उस समय आंकड़ा बदल जाएगा। अभी अधिकारी कम और क्लर्क ज्यादा है। इस समय कुल कर्मचारियों में करीब 20 फीसदी क्लर्क श्रेणी में आते हैं। अभी तक सिर्फ एसबीआई ऐसा सरकारी बैंक हैं, जहां 45 पर्सेंट एंप्लॉयीज इस कैटिगरी के हैं। एनबीटी में प्रकाशित खबर के अनुसार देश की प्रमुख मानव संसाधन कंपनी टीमलीज के आंकड़ों के अनुसार, अब बैंकों ने अपना तरीका बदल रखा है। टीमलीज में बैंकिंग और वित्त सेवा के बिजनेस प्रमुख सब्यसाची चक्रवर्ती ने कहा, "इस समय कई सरकारी बैंक डूबे कर्ज से किसी तरह से ऊभरे है। डूबे कर्ज से लड़ाई लड़ने के बाद अब सरकारी बैंक एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं। कारोबार को बढ़ावा देने के लिए अब बैकों ने कामकाज के तरीके को बदल दिया है। अब इसकी झलक साफ दिखने लगी है। सरकारी बैंकों में अब टेक्नॉलजी से लैस टैलंट और प्राइवेट/मल्टीनैशनल बैंकों के एंप्लॉयीज को हायर करने पर फोकस कर रहे हैं।
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पिछले दो सालों में इतनी हुई भर्ती
टीमलीज की माने तो पिछले दो सालों में सरकारी बैंकों ने प्रत्येक साल करीब 47,000 कर्मचारियों को क्लर्क, मैनेजमेंट ट्रेनी और पीओ के पद पर नियुक्त किया है। इस मामले में सिंडिकेट बैंक के सीईओ मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि इस साल की नियुक्तियां रणनीतिक तरीके से होंगी। उन्होंने बताया कि बैंक इस साल 500 लोगों की भर्ती करेगा। सबसे खास बात यह होगी कि निजी और विदेशी बैंकों की तुलना में हम वेतन भी काफी आकर्षक देंगे। उन्होंने बताया कि सिंडिकेट बैंक के कर्मचारियों की औसत उम्र 37 साल है, जो दो-तीन साल पहले 46.5 साल थी। इससे साफ जाहिर होता है कि अब युवाओं को ज्यादा भर्ती किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब बैंकिंग सेक्टर में जटिलता बढ़ने के कारण बैंक स्पेशल को तरजीह दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि, 'हमें नए तरह के स्टाफ की जरूरत हैं क्योंकि उन्हें हम डिजिटल मार्केटिंग, स्ट्रेस्ड एसेट रिकवरी जैसे नए एरिया में तैनात करेंगे।
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सालाना 50 लाख तक का मिलेगा वेतन
क्या आपने कभी सोचा भी है कि बैंक में सालाना 50 लाख रुपये का पैकेज मिलेगा। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो गलत है। अब सरकारी बैंक मुख्य नैतिकता अधिकारी, मुख्य मार्केटिंग अधिकारी, मुख्य निवेश अधिकारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, विश्लेषण प्रमुख, डिजिटल मार्केटिंग जैसे पदों पर कर्मचारियों को नियुक्त करेंगी। इन पदों का वेतन सालाना 50 लाख रुपये होगा। इस मामले में सबसे आगे एसबीआई है। वह जल्द से जल्द भर्ती प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाना चाहता
है। रिपोर्ट की माने तो आने वाली तिमाही बैंकों के विस्तार के लिए काफी बढ़िया हो सकते हैं। ऐसे ही बैंक ऑफ बड़ौदा भी करीब 500 कर्मचारियों को पोर्टफोलियो सर्विस मैनेजमेंट और वेल्थ मैनेजमेंट विभाग में जगह देगा। यही नहीं बैंक डूबे कर्ज की वापसी के लिए बैंक कानून के जानकारों और वकीलों को भी भर्ती करेंगे। इसमें सबसे आगे मुश्किलों में फंसा आईडीबीआई बैंक है। वह ऐसे शीर्ष पदों पर भर्ती की तैयारी कर रहा है।
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