28वें सेना प्रमुख बने ले. जनरल नरवणे, चीन मामलों पर है मजबूत पकड़
भारतीय थलसेना के प्रमुख रहे जनरल बिपिन रावत आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके सेवानिवृत्त होते ही थलेसना को नया मुखिया मिल गया है। आज थलसेना अध्यक्ष के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कमान संभाली। जनरल बिपिन रावत का आज तीन साल बाद सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए है और देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किए गए हैं। जनरल मनोज नरवणे देश के 28वें सेना प्रमुख हैं। अभी तक मनोज मुकुंद नरवणे आर्मी के उप प्रमुख थे। आज आर्मी चीफ बनते ही वे दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में शामिल 13 लाख थल सैनिकों के मुखिया बन गए हैं। अभी तक लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे इस्टर्न कमांड के प्रमुख थे। इस्टर्न कमांड वह है जो कि भारत-चीन की 4000 किलोमीटर लंबी सीमा की देखभाल करती है।
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नई दिल्ली के सेना भवन में जनरल बिपिन रावत ने परंपरा के तहत बैटन सौंपकर नए सेनाध्यक्ष नरवणे को चार्ज सौंपा। महाराष्ट्र से ताल्लुक रखनेवाले नरवणे को मुश्किल मोर्चे पर सफलता और बेहतरीन नेतृत्व क्षमता के लिए जाना जाता है। नए आर्मी चीफ अपने सहकर्मियों और स्टाफ के बीच साफ छवि और अच्छे व्यवहार के लिए बहुत ही लोकप्रिय है, यही नहीं चीन से जुड़े सुरक्षा मामलों को लेकर जनरल नरवणे की मजबूत पकड़ है। आज नरवणे को कमान सौंपते हुए जनरल बिपिन रावत ने कहा कि आर्मी चीफ का काम कठिन होता है। उम्मीद है कि मनोज नरवणे यह जिम्मेदारी बखूबी निभाएंगे। चार्ज देने से पहले आज सुबह जनरल रावत ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में वह 1 जनवरी को चार्ज लेंगे।
आखिरी बार ली परेड की सलामी
आज सेना से सेवानिवृत्त होने से पहले जनरल बिपिन रावत ने बतौर सेना प्रमुख के रूप में आखिरी बार परेड की सलामी ली, उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी सेना की तरफ से दिया गया। आज उन्होंने सेना के बीच में कहा कि पद पर रहते हुए चाहे जितना काम किया जाए, लेकिन कुछ काम अधूरे रह ही जाते हैं। उन्होंने कहा कि जो काम अधूरे रह गए उन पर नई जिम्मेदारी लेने के बाद योजनाएं बनाऊंगा। आज उन्होंने नॉर्दर्न, ईस्टर्न, वेस्टर्न और बर्फीले इलाकों में मोर्चे पर तैनात जवानों को शुभकामनाएं भी दी। उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन समय में भी जान की परवाह किए बिना देश की सेवा में लगे हुए हैं। वे अपने परिवार को छोड़कर सीमा पर तैनात रहते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि आज नरवणे अपनी ड्यूटी को बखूबी निभाएंगे। आज उनके लिए खास मौका है। पिछले तीन सालों में मुझे सहयोग देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं। उनके कारण ही सफलतापूर्वक कार्यकाल पूरा कर पाया।
एनडीए के छात्र रहे नए सेना प्रमुख नरवणे
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज नरवणे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के छात्र रहे हैं। वह जून 1980 में सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट की 7वीं बटालियन में कमीशन प्राप्त हुए। 37 वर्षों तक सेना में काम करने का उनके पास लंबा अनुभव रहा है। वे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ अभियान का नेतृत्व कर चुके हैं, डिफेंस कॉरिडोर में एमएम नरवणे को चीन के मामलों का भी एक्सपर्ट माना जाता है। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर कहर बनकर टूटने वाले राष्ट्रीय राइफल्स की एक बटालियन की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वे पूर्वोत्तर में एक इंस्पेक्टर जनरल के तौर पर असम राइफल्स के इंस्पेक्टर जनरल भी रहे हैं। वह पूर्वी मोर्चे पर इन्फैन्ट्री बिग्रेड का नेतृत्व कर चुके हैं। यही नहीं उन्होंने अंबाला स्थित खड़ग स्ट्राइक कॉर्प्स में भी अपनी सेवाएं दी है। वह श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षक बल का हिस्सा थे और तीन वर्षों तक म्यामांर स्थित भारतीय दूतावास में रक्षा अताशे रहे।
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