खुद पैसा कमाने की चाह में 90 साल की दादी ने 'बेसन की बर्फी' बनाकर शुरू किया स्टार्टअप
मां और बेटी का रिश्ता बेहद प्यारा होता है और ये खूबसूरत कहानी उन सभी बेटियों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपनी मांओं की इच्छा पूरी करने के लिए पूरी कोशिश लगा देती हैं।
90 साल की हरभजन कौर अपनी बेटी रवीना सूरी के साथ बैठकर जिंदगी के बारे में बात कर रही हैं। इस दिलचस्प बातचीत के दौरान रवीना अपनी मां से पूछती हैं कि क्या इस पूरी जिंदगी में उन्हें किसी बात का पछतावा रहेगा कि काश मैं ये कर पाई होती। इस पर हरभजन का जवाब था कि मुझे जीवन में ऐसे तो सबकुछ मिला लेकिन मुझे इस बात का मलाल रहेगा कि मैंने पूरी जिंदगी में कभी खुद कोई पैसे नहीं कमाएं।
हरभजन कौर अमृतसर के नज़दीक तरन-तारन में जन्मी थी। शादी के बाद अमृतसर, लुधियाना रही और करीब दस साल पहले पति की मौत के बाद वे कुछ समय से अपनी बेटी के साथ चंडीगढ़ में रहने लगी। रवीना ने जब आगे मां से पूछा आप कैसे पैसे कमाना चाहती हैं, वो पैसा, कुछ सोचा है क्या? इसपर हरभजन ने जब अपना बिजनेस प्लान बताया तो रवीना का गला जैसे भर आया हो। मां ने कहा मैं बेसन की बर्फी बना सकती हूं। धीमी आंच पर भुने बेसन की मेरे हाथ की बर्फी के खरीददार भी मिल जाएंगे।
भले ही ये बात हरभजन के लिए वहीं खत्म हो गई हो लेकिन रवीना के लिए यहां से एक नई शुरुआत होने वाली थी। रवीना अपनी मां की इस एक इच्छा को पूरी करना चाहती थीं और यहीं से शुरुआत हुई एक नए सफर की।
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चंडीगढ़ के साप्ताहिक ऑर्गेनिक मार्केट में आज हरभजन के हाथ की बनीं बफियां झट से बिक जाती हैं, इस मीठे जायके का हर कोई मुरीद है। तीन साल पहले हरभजन ने अपनी बेटी की मदद से बर्फी बेचकर अपनी जिंदगी की पहली कमाई शुरू की थी। आज भले वो 93 साल की हैं लेकिन अपने काम को लेकर गंभीर हैं और यही कारण है कि उनका ये बिजनेस प्लान सफल है।
हरभजन ने बताया कि मुझे पहला आर्डर पास के एक आर्गेनिक बाजार से मिला था पांच किलो बर्फी का और उससे मुझे जो 2000 रुपए मिले उसको मुट्ठी में लेने का जो सुख था उसको बयां नहीं किया जा सकता। उस दिन जब वो घर लौटीं तो उनके चेहरे पर जो खुशी थी उसकी बात ही अलग थी। इस कमाई ने न केवल उनकी खुशियां खरीदी थीं बल्कि उन्हें आत्मविश्वास से भी भर दिया।
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आज हरभजन बेसन की बर्फी के साथ चटनी और कई तरह के अचार भी बनाती हैं और सारे प्रोडेक्ट को हर दस दिन पर वो आर्गेनिक मार्केट में भेजती हैं। इस उम्र में भी वो अपने काम को जितने मजे और उत्साह से करती हैं उससे तो युवाओं को भी सीखना चाहिए।
इस पूरे प्लान में रवीना हर समय अपनी मां के पीछे से सपोर्ट रही हैं, हरभजन की नातिन भी नानी की मदद के लिए प्रोडेक्ट की ब्रांडिग और पैकेजिंग पर काम करती हैं। इसकी टैगलाइन है- 'बचपन याद आ जाएगा' रवीना ने बताया दो महीने बाद मेरी बेटी की शादी है और वो चाहती है कि सारे इनवेटशन कार्ड के साथ नानी के हाथ की बनी बर्फी भी जाए। वो बाजार की कोई और मिठाई नहीं चाहती बल्कि नानी के हाथों का स्वाद ही चाहती है, उसके लिए मां 200 किलो मिठाई बनाने वाली हैं और मेरे लिए ये बहुत खुशी और सम्मान की बात है।
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