मध्य प्रदेश में स्थगित हुआ राज्यसभा का चुनाव, अब दिग्विजय को रोकने की तैयारी
मध्य प्रदेश में तख्ता पलट के बाद अब राज्यसभा का चुनाव स्थगित कर दिया गया है। कोरोना वायरस के चलते राज्य में 26 मार्च को होने वाला का राज्यसभा आगे के लिए टाल दिया गया है। कोरोना की वजह से अब मध्य प्रदेश के कांग्रेसी दिग्गज दिग्विजय सिंह की सीट पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। तख्ता पलट के दौरान कांग्रेस की सरकार बचाने में जुटे दिग्विजय सिंह के सामने अब चुनौती खड़ी हो गई है। उन्हें राज्यसभा जाने से रोकने के लिए उनकी विरोधी लॉबी पूरी तरह से सक्रिय हो गई है। बता दें दिग्विजय सिंह के अलावा भाजपा के प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल 9 अप्रैल को समाप्त हो रहा है। अब राज्य में बदले हवा के रुख की वजह से कांग्रेस से राज्यसभा दिग्विजय सिंह या फिर फूल सिंह बरैया पहुंचेंगे, यह कह पाना बहुत मुश्किल हो गया है।
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बरैया को आगे लाना चाहती है पार्टी
मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत की वजह से उनके गुट के विधाायकों ने इस्तीफा दे दिया है। दुर्ग ग्वालियर-चंबल संभाग क्षेत्र के 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद अंकों के हिसाब से राज्य में भाजपा का पक्ष मजबूत हो गया है। अब राज्य में भाजपा के दोनों ही प्रत्याशी चुनाव जीत सकते हैं। वहीं, विधायकों की संख्या कम होने की वजह से अब कांग्रेस के लिए एक ही सीट बची है। मध्य प्रदेश कांग्रेस की तरफ से फूल सिंह बरैया और दिग्विजय सिंह में से एक ही नेता को सदन जाने का मौका मिलेगा। फूल सिंह बरैया का पक्ष इसलिए मजबूत दिख रहा है क्योंकि वह भी चंबल इलाके से आते हैं और दलित समुदाय के बड़े नेता भी माने जाते हैं। आने वाले समय में विधानसभा के उपचुनाव भी इसी क्षेत्र में होने वाले है। ऐसे में पार्टी भविष्य के लाभ को देखते हुए फूल सिंह बरैया को राज्यसभा भेज सकती है। ऐसा कहा जा रहा है कांग्रेस में एक लॉबी अब हाईकमान को दलित और आदिवासियों के वोटों का गणित समझाकर फूल सिंह बरैया को फायदा पहुंचाना चाहती है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता अखंड प्रताप सिंह ने फूल सिंह बरैया को राज्यसभा में भेजे जाने के लिए शीर्ष नेताओं को पत्र लिखा है। यही नहीं, उन्होंने विधायकों से पहले प्रत्याशी की प्राथमिकता के रूप फूल सिंह बरैया को ही वोट देने के लिए कहा है।
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बरैया को कांग्रेस में लेकर आएं दिग्विजय
चंबल संभाग में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए दिग्विजय सिंह वर्षों से काम कर रहे हैं। इस संभाग में सिंधिया गुट को कमजोर करने के लिए उन्होंने कई कद्दावर नेताओं को पार्टी में शामिल कराया है। इसी संभाग के बड़े नेता माने जाने वाले फूल सिंह बरैया को भी कांग्रेस में दिग्विजय सिंह ही लेकर आएं थे। दलित वर्ग से आने वाले फूल सिंह बरैया पूर्व में बहुजन समाजवादी पार्टी में थे। फूल सिंह बरैया को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता दिलाई गई थी। अब बरैया ही कांग्रेस की एक लॉबी जरिए दिग्विजय सिंह पर निशाना साध रहे हैं। वैसे, फूल सिंह बरैया ने एक चैनल से बातचीत में कहा, 'मुझे भी सुनने में आया है कि कांग्रेस में ही कुछ लोगों ने कहा है कि मेरे राज्यसभा जाने से मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनावों में दलित-आदिवासी वोटों का फायदा पार्टी को होगा। अब आगे पार्टी का जो भी निर्णय होगा उसे हम स्वीकार करेंगे। वैसे, वर्तमान के हालातों में हमसे कहीं ज्यादा दिग्विजय सिंह का राज्यसभा जाना जरूरी है।'
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राज्य में इतने हैं विधायक
229 सदस्यों की विधानसभा में 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद फिलहाल विधायकों की संख्या 206 बची हैं। वर्तमान में भाजपा के बाद विधायकों की संख्या 107 और कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं। राज्य में चार निर्दलीय विधायकों में से दो अब भी कांग्रेस के साथ खड़े हैं। बसपा और सपा के विधायक पहले ही भाजपा का दामन थाम चुके हैं। राज्य में राज्यसभा प्रत्याशी के लिए कम से कम 52 वोट चाहिए। विधायकों के संख्या बल के हिसाब से भाजपा का पलड़ा भारी है। भाजपा अपने दम पर ही दो प्रत्याशियों को राज्यसभा भेज सकती है। ऐसे में अब कांग्रेस के प्रत्याशी दिग्विजय सिंह और बरैया में से एक का पत्ता कटना तय है।
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