बनारस के इस परिवार ने अपने घर को बना दिया 'गौरेयों का आशियाना'
सरदार इंद्रपाल बत्रा का बचपन से ही प्रकृति की तरफ एक झुकाव था। 16 साल पहले जब गौरेया बेघर हो गई तो इस घटना से उन्हें दुख पहुंचा था। एक पेड़ जो गौरेया के रहने का ठिकाना था उसे काटकर वहां घर बना दिया गया। उसी समय इंद्रपाल ने कुछ करने की सोची और उन्होंने उत्तर प्रदेश के बनारस जिले के श्रीनगर कॉलोनी में बने अपने घर का सैकड़ों ऐसी गौरया का अशियाना बना दिया।
गौरेयों के मसीहा
प्रकृति को लेकर उनकी रूचि व लगाव की झलक उनके ईको फ्रेंडली घर में साफ देखी जा सकती है। उन्होंने अपने घर में कई सारे पेड़ लगाए हैं और गौरेयों के लिए मिट्टी के बर्तन भी जगह जगह रखे गए हैं।
वो बताते हैं, “आज के समय में मेरे घर के अंदर गौरेया के 20 घोंसले हैं और घर के बाहर लगभग 200 गौरेया के घोंसले हैं जिनको इस प्राकृतिक घर की अब आदत हे गई है।” सबसे पहले इंद्रपाल ने बोगनविल्ले व शमी के पेड़ लगाए थे, जब ये पेड़ बड़े हुए तो उन्होंने इसमें दर्जनों के
मिट्टी के बर्तन कपड़े के साथ बांध दिए और इसके अंदर रूई बिछाकर घास रख दी। कुछ दिन में गौरेयों ने यहां आना शुरू कर दिया। पड़ोस के लोग भी अब इस नजा़रे को देखने के लिए इंतजार करने लगे थे। इंद्रपाल बताते हैं कि दक्षिण भारत और देश के अन्य राज्यों के बहुत से लोग बनारस जब भी घूमने आते हैं तो मेरे घर गौरेयों के लिए बने इस प्राकृतिक वातावरण व घरों को देखने भी आते हैं। उनमें से कुछ लोग तो गौरेयों के खाने के लिए बिस्किट व अन्य कुछ खाने की चीजें भी लाते हैं।
पूरा परिवार करता है ये नेक काम
ऐसा लगता है कि उनके पूरे परिवार ने एक मिशन के तौर पर गौरेया की देखभाल करने की ठान ली है। उनकी बेटी अमृता बत्रा जो इस समय दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम कर रही हैं वो बताती हैं, उन्हें ये प्राकृतिक वातावरण बहुत पसंद है। मेरी सुबह इसी से शुरू होती है और रात यहीं पर खत्म। मेरे परिवार के सभी सदस्य मेरे पापा, मम्मी और भाई सभी इनकी देखभाल का पूरा खयाल रखते हैं। अगर हम घर से बाहर जा रहे होते हैं तो हम इनके खाने पीने की पूरी जिम्मेदारी किसी न किसी को सौंप के जाते हैं।
जब बहुत से लोग प्रकृति को महसूस करने के लिए हिल स्टेशन, पहाड़ व समुद्र के किनारे जाते हैं इस आदमी ने अपने घर को ही प्रकृति के अनुरूप ढाल दिया है जिससे वो सीधे प्रकृति से जुड़े रहें। इंद्रपाल बत्रा और उनके परिवार के सभी सदस्य आगंतुकों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। तेजी से हो रहे शहरीकरण व कट रहे पेड़ों के कारण पक्षी बेघर हो रहे हैं ऐसे में एक बेहतरीन उदाहरण है। हम उम्मीद करते हैं कि इस परिवार आजकल पक्षियों की देखभाल करने क लिए एक अद्भुत काम है जो अपने प्राकृतिक आवास को खो देते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस परिवार की कहानी से आप भी प्रेरित होगें और अपने प्रकृति को बचाने के लि पहल करेगें।
(साभार: द लॉजिकल इंडिया )
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