हादसे तोड़ते हैं, लेकिन इस हादसे ने चार परिवारों को जिंदगी दे दी
अगर आप सच में समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं, तो कम से कम इस हादसे से सीख लीजिए और सही फैसला लीजिए।
13 नवंबर को राजकोट के भावनगर में एक हादसा हुआ। एक नौजवान की मौत हुई। आप सोच रहे होंगे कि इसमें नई बात क्या है। वाकई कोई नई बात नहीं है। देशभर में रोजाना न जाने कितने ऐसे हादसे होते हैं, पर इस हादसे के बाद जो हुआ, वह आपको सोचने पर मजबूर कर देगा।
राजू धापा अपनी बाइक से कहीं जा रहे थे कि बाइक फिसली और उन्हें सिर में गंभीर चोटें आईं। उन्हें आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां डॉक्टर्स ने उन्हें ब्रेन डेड यानी दिमागी तौर पर मृत घोषित कर दिया।
ऐसे हादसों के बाद अक्सर लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार कर देते हैं। राजू का परिवार भी शायद यही करता लेकिन अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. राजेंद्र कबारिया ने समझाया कि राजू की वजह से कुछ जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।
राजू के परिजनों ने डॉ. राजेंद्र की बात मान ली और हार्ट, दोनों किडनियां, लिवर और दोनों आंखें दान करने के लिए राजी हो गए। डॉ. राजेंद्र ने बताया कि इसके बाद तुरंत ही मुंबई से एक टीम भावनगर पहुंची और राजू के अंगों को एयरपोर्ट तक पहुंचाने के लिए झटपट एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। टीम को राजू के अंग सकुशल सौंपे गए और उन्हें भेज दिया गया मुंबई में एक अस्पताल में भर्ती चार मरीजों को नई जिंदगी देने के लिए।
डॉ. राजेंद्र ने बताया कि राजू भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, भले ही उनके परिवार में राजू की कमी हमेशा महसूस की जाएगी लेकिन यह क्या कम बड़ी बात है कि राजू की आंखों से कोई और दुनिया के तमाम खूबसूरत रंग देख पाएगा।
राजू भले ही अपने परिवार के बीच नहीं रहेंगे, पर उनका दिल किसी के सीने में धड़कता रहेगा। राजू चार शरीरों में जिंदा रहेंगे और उन परिवारों के दिलों में भी हमेशा जिंदा रहेंगे जिनकी टूटी हुई उम्मीदों को उनके अंगों से जान मिल गई।
टीम इंडियावेव राजू धापा के परिवार का शुक्रिया अदा करती है और पाठकों से गुजारिश करती है कि ऑर्गन डोनेशन को बढ़ावा दें।
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