जानें आखिर भारत में नरक चतुर्दशी क्यों मनायी जाती है
नरक चतुर्दशी का त्योहार हर साल कार्तिक कृष्ण चतुदर्शी को यानी दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस चतुर्दशी तिथि को छोटी दीपावाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रातः काल स्नान करके यम तर्पण एवं शाम के समय दीप दान का बड़ा महत्व है। इस दिन दीप दान इसलिए किया जाता है जिससे नरक जाने से बचा जाए।
इसके साथ ही इस त्यौहार के साथ पौराणिक कथा भी जुड़ा हुआ है। मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरकासुर नाम के असुर का वध किया। नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंदी बना रखा था। नरकासुर का वध करके श्री कृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया। इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा कि समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा अतः आप ही कोई उपाय करें। समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया।
इस दिन लोग अपने घर को साफ-सुधरा करके रंगों का रंगोली बनाते हैं। साथ ही शाम को तेल का दीपक जला अपने घर द्वार को रौशन करते हैं। आज का दिन रूप चतुर्दशी के रूप में भी मानाया जाता है क्योंकि तिल के तेल और एक उबटन जिसमें चन्दन पाउडर, हल्दी, बेसन, दूध और क्रीम को मिला कर तैयार किया जाता है और पवित्र स्नान करने के दौरान चेहरे पर इसे लगाया जाता है।
यदि आप अनुष्ठानों और अनुष्ठानों का पालन करना चाहते हैं, तो इस शुभ मुहूर्त में करें
अभयंग स्नान मुहूर्त - सुबह 04:47 से 06:27 बजे तक
चतुर्दशी तीथि शुरू - 18 अक्टूबर, 2017 को 8 बजे
चतुर्दशी तिथि खत्म - 00:13 1 9 अक्टूबर, 2017 को 1 बजे
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