कुछ इस तरह बदली गुवाहाटी रेलवे स्टेशन की तस्वीर, ये काम करके बना पहला स्टेशन
पूर्वोत्तर रेलवे ने देश के सामने एक ऐसी मिसाल पेश की है। वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में असम के शहर गुवाहाटी ने देशभर में एक अहम मुकाम हासिल किया है। शहर का रेलवे स्टेशन अब पूरी तरह से सौर ऊर्जा द्वारा संचालित भारत का पहला रेलवे स्टेशन बन गया है। अब इसे सरकार के सालाना 67.7 लाख रुपए बचेंगे। प्रोजेक्ट पर 6 करोड़ रुपए का खर्चा आया है।
यहां सौर पैनलों को स्थापित करने की परियोजना अप्रैल 2017 में शुरू की गयी थी। 'गेटवे टू द नॉर्थ-ईस्ट' के रूप में जाना जाता है, यह स्टेशन प्रतिदिन 40,000 से अधिक यात्रियों के लिए एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने का जरिया है। यहां पर सौर्य ऊर्जा के रूप में पूर्णरूप से संचालित होने के लिए ये खास व्यवस्था की गई है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन की छतों पर लगभग 2352 सौर मॉड्यूल 700 किलोवाट पावर उत्पन्न करने की क्षमता के साथ स्थापित किये गये हैं।
रूफ टॉप पर सौर ऊर्जा संयंत्र में सौर पैनल स्थापित किये गये हैं जिससे सौर ऊर्जा को बिजली के रूप में प्रायोग में लाया जा सके। सौर-संचालित स्टेशन का लक्ष्य कार्बन-फुटप्रिंट को कम करने के साथ-साथ बिजली की लागत में कटौती करना है। सौर्य ऊर्जा के रूप में संचालित होने के बाद अब करोड़ों रुपये की बचत होगी। भारतीय रेलवे के अनुसार, परियोजना की लागत का अनुमान 6.7 करोड़ रुपये है इस प्रोजेक्ट से रेलवे हर साल 67 लाख रुपये की बिजली बचायेगा।
गुवाहाटी स्टेशन पर ये होता है खर्च
गुवाहाटी रेलवे स्टेशन की छतों पर 2352 सोलर पैनल लगाए गए हैं। 700 किलोवाट के प्लांट से स्टेसन, कोच डिपो और रेलवे कॉलोनी को बिजली मिलेगी। दरअसल रेलवे देश में बिजली और डीजल का सबसे बड़ा कन्ज्यूमर है। इस पर सालाना 31 हजार करोड़ रुपए खर्च करता है। रेलवे ने 2025 तक अपनी कुल ऊर्जा जरूरतों का 25 प्रतिशत ग्रीन ऊर्जा से पूरा करने की योजना शुरु की है। इससे रेलवे के सालाना 8 हजार करोड़ रुपए बचेंगे। पिछली साल जुलाई में रेलवे ने ट्रेन के कोच की छत पर सोलर पैनल लगाए थे। इससे कोच की लाइट, पंखे और डिस्प्ले चलते हैं। दिल्ली-यूपी और दिल्ली हरियाणा रूट की 30 ट्रेनों पर पैनल लगाए गए हैं। बेंगुलरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की स्टडी के मुताबिक सोलर पॉवर कोच वाली ट्रेन सालाना 239 टन हानिकारक कॉर्बन उत्सर्जन कम कर सकती है। 50 कारों से इतना ही प्रदूषण होता है। साथ ही ऐसी एक ट्रेन से 21 हजार लीटर डीजल और 60 लाख रुपए बचेंगे। देश में औसतन सालाना 11 हजार ट्रेनें चलती हैं।
सरकार ‘मिशन 41के’ के पेश कर रही लक्ष्य
एनर्जी बचाने के जरिए करोड़ों रुपये बचाने के लिए रेलवे मंत्रालय ने नया प्रोजेक्ट ‘मिशन 41के’ के नाम से शुरू किया है। पिछले साल शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट में 41 हजार करोड़ रुपए की बचत की संभावना है। रेल मंत्रालय ने अगले दशक में रेलवे की एनर्जी इन्वेस्टमेंट में 41,000 करोड़ रुपए की बचत करने के लिए ‘मिशन 41के’ तैयार किया है। मंत्रालय के अनुसार पिछले दशक में किए गए समस्त इलेक्ट्रीकल कार्यों को दोगुना किया जाएगा। इसके अलावा भारतीय रेलवे ने 1000 मेगावाट सौर बिजली और 200 मेगावाट पवन ऊर्जा का लक्ष्य रखा है। मौजूदा समय में 70 फीसदी ढुलाई इलेक्ट्रीकल ट्रैक्शन पर होती है। अगले 6-7 वर्षों में 90 फीसदी ढुलाई विद्युत ट्रैक्शन पर करने का लक्ष्य तय किया गया है। खुली पहुंच के जरिये बिजली की खरीद सुनिश्चित करने से विद्युत खरीद की लागत काफी कम हो गई है, जिसका संचालन व्यय में 25 फीसदी हिस्सा होता है। भारतीय रेलवे 18.25 बिलियन यूनिट से ज्यादा इलेक्ट्रिकल एनर्जी कंज्यूम करता है।
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