बिना दुकानदार वाले इस दुकान से बच्चे खरीदते हैं भविष्य के लिए ईमानदारी
जैसे पैसे पेड़ पर नहीं उगते, कोई अपनी मां के पेट से चोर नहीं पैदा होता उसी तरह ईमानदारी का गुण भी दुकान से नहीं खरीदा जा सकता! यह सबकुछ कहने और सुनने वाली बाते हैं, लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां ईमानदारी दुकान से 'खरीदी' जाती है।
दरअसल यह कोई जगह नहीं शिक्षा का मंदिर कहा जाने वाला एक स्कूल है। दक्षिण भारत स्थित मदुरै में एक स्कूल है जहां बच्चों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाने के लिए दुकान का सहारा लिया गया है। स्कूल में ही बनी इस दुकान की खासियत यह है कि इन दुकान का कोई दुकानदार नहीं है।
मदुरै के पास करुमथुर में चलने वाले इस स्कूल में 2004 में इस परंपरा की शुरुआत की गई। स्कूल प्रबंधक ने बताया कि जब इस परंपरा को शुरू किया गया तो शुरुआत में इस ऐसी घटनाएं सामने आईं जब लोगों ने ईमानदारी नहीं दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे इसमें सुधार हुआ। आज की तारीख में बच्चों में इसको लेकर काफी ईमानदारी देखी गई।
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
दरअसल इस प्रयोग की परिकल्पना स्कूली छात्रों को ईमानदारी का पाठ बेहतर तरीके से पढ़ाने के लिए हुई। तो तय हुआ कि स्कूल में ही ऐसे दुकान लगाए जाएंगे जहां छात्रों की जरूरत के सामान रखे होंगे। छात्र बिना दुकानदार वाले दुकान से सामान खरीदेंगे और वहीं रखी पोटली में उस सामान की कीमत रख देंगे। वो उस सामान की पूरी कीमत अदा कर रहे हैं या नहीं उसकी जांच नहीं की जाएगी। इसका परिणाम यह हुआ कि कुछ दिनों में ही सामान की पूरी कीमत उस पोटली में आने लगी।
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