यूपीएससी रिजल्ट: किसान की बेटी से लेकर एक बच्चे की मां बनी आईएएस अफसर
जनता की सेवा करने के लिए सर्वोच्च पदों आसानी कराने वाले सिविल सर्विस एग्जाम का परिणाम आ गया है। अफसर बनने के लिए सपना संजोने वाले देश भर के लाखों अभ्यर्थियों में से महज 990 कैंडिडेट सफल हुए हैं। संघ लोक सेवा आयोग के आए परिणाम काफी रोचक रहे हैं।
यूपीएससी 2017 के परिणाम में टॉपर करने वाले अनुदीप के हिस्से में जहां शुरूआती दौर में असफलता रही, लेकिन वे मेहनत से लगे रहे और अपने आखिरी प्रयास में देश के टॉपर बने। वही दूसरा स्थान हासिल करने वाली अनु कुमारी चार साल के बच्चे की मां है, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपने जुनून को बरकार रखा। यही नहीं इस परीक्षा में किसानों के लाल ने भी परीक्षा में अपना झण्डा बुलंद किया है।
टॉपर अनुदीप ने पांच बार दी परीक्षा और तीन बार रहे असफल
सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम में टॉप करने वाले 28 वर्षीय अनुदीप डुरीशेट्टी के हिस्से में यह सफलता आखिरी प्रयास में आई हैं। अनुदीप अपने चार प्रयासों में तीन बार असफल रहे थे और अंतिम प्रयास में उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी मेहनत करके वे टॉपर बन गए। अनुदीप का चयन इससे पहले भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर हुआ था और वे सेवा भी दे रहे हैं। सफलता की कहानी बताते हुए उन्होंने कहा कि ये सफर हर तरह से रोमांचक रहा।
यूपीएससी एग्जाम क्रैक आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और सच ये है कि अब वो एक टॉपर हैं। उन्होंने बताया कि ये उनका पांचवां प्रयास था। इससे पहले वो तीन बार नाकाम रहे और ये सफर भी आसान नहीं था। हालांकि अब वो अपनी इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं। अनुदीप ने कहा कि मैं उन सभी लोगों का आभारी हूं जिन्होंने मेरा साथ दिया। तेलगांना में जगितल जिले में स्थित मेटपल्ली के रहने वाले अनुदीप के पिता डॉ मनोहर उत्तरी पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड, तेलंगाना में सहायक मंडल अभियंता के पद पर कार्यरत हैं। वहीं, उनकी मां डॉ. ज्योति गृहणी हैं। अनुदीप ने मेटपल्ली स्थित श्री सूर्योदय हाई स्कूल से पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने बिट्स पिलानी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटशन में बीटेक किया।
अनुदीप बताते हैं कि जब मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, उसी समय मुझे सिविल सर्विस में दिलचस्पी पैदा हुई। मैंने काफी पढ़ाई की लेकिन पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली। इसके बाद हैदराबाद में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर गूगल में नौकरी शुरू कर दी। इस दौरान मैंने सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी जारी रखी। हालांकि बाद में नौकरी छोड़ दी। उन्होंने बताया कि 'मैंने तैयारी करते हुए यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन अगले दो प्रयास भी खाली गए।
इस साल मेरा आखिरी प्रयास था और भगवान की दया से मैंने इस परीक्षा में टॉप कर लिया।' अनुदीप को इतिहास पढ़ने का शौक है। वे अमरीका के राष्ट्रपति रहे महान नेता अब्राहम लिंकन के व्यक्तित्व से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। अनुदीप को पढ़ने का शौक है और उन्हें फुटबाल में गहरी दिलचस्पी है। बचपन से ही वो फुटबॉल खेलते हैं और फुटबॉल के मैच देखते हैं। अनुदीप कहते हैं, "मेरे पिता मेरे रोल मॉडल है. वो तेलंगाना के एक दूरस्थ गरीब इलाके से आते हैं। अपनी मेहनत के दम पर वे आगे बढ़े और मुझे बेहतर शिक्षा मिल सकी। उन्होंने हमेशा मेरा सहयोग किया है। वे अपने काम में बेहद मेहनत करते हैं और ऊंचे स्टैंडर्ड का पालन करते हैं। मैंने अपने जीवन में हमेशा उन जैसा बनना चाहा है।"
चार साल के बच्चे की मां ने कर दिया कमाल
सोनीपत जिले की बेटी अनु कुमारी ने यूपीएससी की परीक्षा में दूसरा स्थान पाकर देश भर में प्रदेश का नाम चमकाया है। पहले प्रयास में प्री लिम्स की परीक्षा पास करने में सिर्फ एक नंबर से चूक जाने के बाद अनु ने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के लिए जी जान लगा दी। यहां तक कि वे अपने चार साल के बेटे से भी दूर रही। बेटे को मां के पास छोड़कर वो खुद अपनी मौसी के यहां रहने लगीं और यहां पर रोज करीब 10 से 12 घंटे पढ़ाई करतीं। आखिरकार उनकी ये मेहनत काम आई और इस बार वे यूपीएससी एग्जाम में दूसरा स्थान पाने में कामयाब रहीं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से भौतिकी में बीएससी (ऑनर्स) करने वाली अनु को महिला अभ्यर्थियों में शीर्ष रैंक प्राप्त हुई है। उन्होंने आईएमटी नागपुर से एमबीए किया है।
अनु की इस सफलता पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी ट्वीट कर बधाई दी है। पहल प्रयास में प्री परीक्षा ही न निकाल पाने वाली अनु कुमारी ने समर्पित मां होते हुए न सिर्फ घरेलू जिम्मेदारियों को पूरा किया बल्कि अपने अध्ययन के लिए हर दिन 10 से 12 घंटे का समय भी निकाला। अनु ने बताया कि जिस गांव में मैं अपनी परीक्षा के लिए तैयारी कर रही थी, वहां अखबार भी नहीं आता था। मैंने ऑनलाइन कॉन्टेंट का सहारा लेकर तैयारी की। आखिरकार उन्हें सफलता मिल ही गई। करीब 9 साल तक निजी कंपनी में 20 लाख रुपए के वार्षिक वेतन पर नौकरी करने वाली अनु ने डेढ़ साल पहले सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी शुरू की थी।
किसान का लाल बना आईएएस, प्राप्त की 8वीं रैंक
इलाहाबाद जिले में एक किसान के लाल ने कमाल कर दिया। इस बार अपने दूसरे प्रयास में उसने आईएएस की परीक्षा में 8वां स्थान पाकर मां-बाप का सपना कर दिया। यूपीएससी की परीक्षा में सफल रहे अनुभव सिंह के अंदर आईएएस बनने का सपना इलाहाबाद में हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान आया था। पढ़ाई के दौरान ही इलाहाबाद में सिविल सेवा के माहौल और आसपास रहने वाले प्रतियोगी छात्रों की वजह से उनके अंदर भी सिविल सेवा में जाने का सपना पनपने लगा था।
इलाहाबाद में प्रतियोगी छात्रों के रहने का गढ़ माने जाने वाले शिवकुटी इलाके में स्थित स्कूल से उन्होंने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की इसके बाद 2011 में उनका चयन आईआईटी रुड़की में हो गया। अनुभव ने 2011 से 2015 तक आईआईटी रुड़की में सिविल इंजिनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने आईएएस परीक्षा दी। पहले प्रयास में वे भारतीय राजस्व सेवा में चयनित हुए। दूसरे प्रयास में उन्होंने ये मुकाम प्राप्त किया। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले अनुभव के पिता धनंजय सिंह एक किसान हैं जबकि मां सुषमा सिंह एक कॉलेज में लिपिक (क्लर्क) के पद पर कार्यरत हैं। दो भाई बहनों में छोटे अनुभव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जिले की हंडिया तहसील के एक छोटे से गांव दसेर से पूरी की है। इसके बाद उन्होंने हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए शहर का रुख किया था।
अपने जिले से पहली महिला आईएएस बनी किसान की बेटी
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले की तपस्या परिहार ने कमाल कर दिया। किसान के घर में जन्मीं तपस्या ने 23वीं रैंक पाकर अपने जिले का रोशन करते हुए इतिहास रच दिया। पत्रिका के अनुसार तपस्या अपने जिले से चयनित होने वाले पहली महिला बन गई है। अभी तक इनके जिले से कोई भी महिला इस पद के लिए चयनित नहीं हुई है। यही नहीं माना जा रहा है कि एमपी के जो कैंडिडेट सेलेक्ट हुए हैं, उनमें वे टॉप पर हैं। तपस्या के पिता विश्वास परिहार मूल रूप से किसान हैं और उनकी जिले के समृद्धि किसानों में होती है। उनके दादी देवकुंवर परिहार नरसिंहपुर जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष भी रही है।
तपस्या ने बताया कि उनकी सफलता का श्रेय का हकदार उनका संयुक्त परिवार है। उनके चाचा विनायक परिहार जो कि सामाजिक कार्यकर्ता हैं ने उन्हें सर्वाधिक प्रोत्साहित किया। तपस्या का विषय लॉ था। उन्होंने कानून की पढ़ाई पुणे के लॉ कॉलेज से की है। तपस्या परिहार ने ढाई साल दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी की और अपने दूसरे प्रयास में सफल रहीं। तपस्या ने बताया कि पहले प्रयास में असफल होने के बाद रणनीति बनाई जिसमें 8-10 घंटे पढ़ाई की और हर पल अपने लक्ष्य को ध्यान में रखा। कड़ी मेहनत, ईमानदारी और अनुशासन ये मेरी स्ट्रेंथ है। जिसकी वजह से मैं लक्ष्य को पाने में सफल रही।
तपस्या के चयनित होने पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर तपस्या परिहार को बधाई दी है। उन्होंने लिखा है, 'मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के किसान श्री विश्वास परिहार के कठिन तप और परिश्रम को सार्थक करने वाली बेटी तपस्या परिहार को UPSC में सफलता और 23वीं रैंक के लिए बधाई और शुभकामनाएं। प्रदेश को अपनी बेटी पर गर्व है। आगे बढ़ो, मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है!'
परीक्षा में कुल 990 कैंडिटेट रहे सफल
बता दें कि हैदराबाद के अनुदीप ने यूपीएससी मेन्स में टॉप किया है। वहीं, दूसरे नंबर पर अनु कुमारी और तीसरे पर सचिन गुप्ता हैं। यूपीएससी मेन्स परीक्षा 2017 में कुल 990 कैंडिडेट सफल हुए हैं। इनमें 750 पुरुष और 240 महिलाएं है। इसमें 476 कैंडिडेट जनरल कैटेगरी के हैं, 275 कैंडिडेट ओबीसी, 165 कैंडिडेट एससी और 74 कैंडिडेट एसटी कैटेगरी के हैं। यूपीएससी मेन्स एग्जाम 28 अक्टूबर 2017 को हुई थी।
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