पहली बार टले ओलंपिक, हर चालीस साल बाद लगता है 'ग्रहण', जानें इतिहास
कोरोना वायरस के चलते आखिरकार ओलंपिक खेलों को एक साल के लिए टाल दिया गया है। पूरे विश्व में कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ (आइओसी)ने यह कदम उठाया है। बता दें, कोरोना वायरस के चलते अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने अपने खिलाड़ियों को ओलंपिक में भेजने से मना कर दिया था। अन्य देशों के एथलीट और संघों ने भी ओलंपिक खेलों को आगे बढ़ाए जाने की मांग की थी।
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मंगलवार को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने आइओसी के अध्यक्ष थॉमस बाक से चर्चा की थी। वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए इन खेलों को अगले एक साल तक टालने का फैसला लिया गया। ओलंपिक के इतिहास में ऐसा यह पहला मौका है जब किसी बीमारी की वजह से खेलों का महाकुंभ कहे जाने वाले ओलंपिक खेलों को टाला गया हो। अब ओलंपिक का आयोजन 23 जुलाई 2020 के बजाय 2021 में होगा। आइओसी के अध्यक्ष थॉमस वाक ने कहा, टोक्यो ओलंपिक अगले साल गर्मी में (जून, जुलाई और अगस्त) से पहले हो सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि खेलों के स्थगित होने का मतलब सभी पक्षों को बहुत कुछ बलिदान करना होगा।
11 हजार एथलीट करते प्रतिभाग
जापान की राजधानी टोक्यो में 23 जुलाई से शुरू होने वाले ओलंपिक खेलों में इस बार 11 हजार एथलीट प्रतिभाग करने वाले थे। 4,400 पैरा एथलीट भी पैरा ओलंपिक गेम्स में शामिल होने वाले थे। अब खेलों के टलने की वजह से वर्षों से पदक पाने के लिए मेहनत कर एथलीटों की पूरी मेहनत पर पानी फिर गया है। यही नहीं, टोक्यो में गेम्स आयोजित कराने के लिए कुल 960 अरब रुपये खर्च हुए है। अब खेलों के स्थगित होने की वजह से 457 अरब रुपये का नुकसान होगा। ओलंपिक स्थगित होने की वजह से स्पांसर और बड़े ब्रॉडकास्टर को भी नुकसान होगा जो प्रत्येक चार साल में बड़े विज्ञापन रेवेन्यू के बारे में सोचते हैं। अब खेल रद होने के बाद टोक्यो 2020 के अध्यक्ष याोशिरो मोरी ने कहा कि हमारे पास उम्मीद बनाए रखने के सिवाय कोई चारा नहीं है। मैं कैंसर से जूझकर आज आपके सामने जिंदा हूं। मुझे एक नई दवा ने बचाया। हम सब कुछ ठीक होने की उम्मीद करते हैं।
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2016 में रहा जीका वायरस का खतरा
साल 2016 में रियो डी जेनेरियो में हुए ओलंपिक खेलों में जीका वायरस का खतरा मंडराता रहा। जीका वायरस के खतरे को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने खिलाड़ियों को सावधानी बरतने की सलाह भी दी थी। 2016 का ओलंपिक जीका के 'डंक' के बीच में 5 से 21 अगस्त 2016 तक शानदार तरीके से हुए थे। हालांकि सावधानी की वजह से किसी एथलीट को जीका नहीं हुआ, लेकिन दर्शक से लेकर खिलाड़ी तक में जीका वायरस को लेकर डर बना हुआ था।
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अब तक तीन बार रद्द हो चुके हैं ओलंपिक
1896 में ग्रीस की राजधानी एथेंस से शुरू हुए ओलंपिक खेलों का आयोजन अब तक 30 बार हो चुका है। इस दौरान तीन बार ऐसी परिस्थितियां बनी जब पूरी तैयारी होने के बाद भी ओलंपिक खेलों को रद्द करना पड़ा। पहली बार विश्वयुद्ध छिड़ जाने की वजह से 1916 में बर्लिन का ओलंपिक, 1940 में टोक्यो का ओलंपिक (द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान), और 1944 में लंदन के ओलंपिक खेलों के स्थगित करना पड़ा। ऐसा पहली बार हुआ है जब महामारी की वजह से ओलंपिक गेम्स को एक साल के लिए आगे बढ़ाना पड़ा है।
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ओलंपिक खेलों पर यह है अभिशाप
कोरोना वायरस की वजह से इस बार खेलों का आयोजन एक साल के लिए टाल दिया गया है। लेकिन पूर्व में भी हर 40 साल बाद कुछ ऐसी स्थिति बन गई है, जिसकी वजह से ओलंपिक खेलों के होने में मुसीबत हुई है। बीते दिनों जापान के उप-प्रधानमंत्री टारो असो ने माना कि टोक्यो ओलंपिक 2020 की ठीक वैसी ही स्थिति बन गई है जैसी 1940 और 1980 में हुए ओलंपिक खेलों के समय हुई थी। जापान के उप प्रधानमंत्री के इस बयान के पीछे की असल वजह यह है कि साल 1940 में होने वाला ओलंपिक द्वितीय विश्वयुद्ध की वजह से नहीं हो सका था। जूडो के अविष्कार जापान के महान एथलीट जिगोरो कानो की अगुवाई में ओलंपिक खेलों का आयोजन होना था। जापान को 1932 में हुए ओलंपिक खेलों के दौरान ही मेजबानी की जिम्मेदारी दे दी गई थी और जापान में खेलों को लेकर तैयारी भी पूरी हो गई थी। लेकिन आयोजन से ठीक एक साल पहले 1939 में दूसरा विश्वयुद्ध आरंभ हो गया जो 1945 तक चला। चीन और जापान के बीच में युद्ध होने की वजह से टोक्यो ओलंपिक को रद्द करना पड़ा। इसी तरह रूस की राजधानी मॉस्को में जब 1980 में ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ था, उस समय भी कई देशों ने इसका बहिष्कार कर दिया। राजनैतिक कारणों से इस ओलंपिक में अमेरिका समेत 66 देशों ने प्रतिभाग नहीं किया था। दुनिया के इतने देशों के न खेलने की वजह से यह ओलंपिक भी फीका रहा था।
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इस वर्ष हुई ओलंपिक खेलों की शुरुआत
ओलंपिक खेलों का अपना शानदार इतिहास रहा है। अतीत के झरोखों में देखे तो ओलंपिक की शुरुआत 776 ईसा पूर्व हुई थी। प्राचीन काल में अलग-अलग साम्राज्यों के योद्धाओं के बीच में खेलों का आयोजन होता था। इस दौर की खेल प्रतिस्पर्धाओं में दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़, सैनिक प्रशिक्षण ही हिस्सा हुआ करते थे। रोम के सम्राट थियोडोसिस ने इन खेलों को मूर्ति पूजा वाला उत्सव करार देकर इस पर प्रतिबंधित लगा दिया था। इस तरह 394 ईसा पूर्व में आखिरी बार ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ।
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1896 से शुरू हुआ आधुनिक ओलंपिक
आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत 1896 में हुई। पहली बार ग्रीस की राजधानी एथेंस में ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ। एथेंस में पहली बार 6 से 15 अप्रैल तक चले खेलों में 14 देशों के 241 खिलाड़ियों ने भाग लिया। पहली बार में महज 9 खेलों के 43 इवेंट का आयोजन हुआ था। सबसे ज्यादा पहली बार 43 प्रतिभागियों ने मैराथन दौड़ में भाग लिया। आधुनिक ओलंपिक में टेनिस, ट्रैक एंड फील्ड, भारोत्तोलन, साइकिलिंग, कुश्ती, तीरंदाजी, तैराकी और जिम्नास्टिक खेल शामिल किए गए थे। टीमों की कमी होने के कारण क्रिकेट और फुटबॉल की प्रतियोगिताओं को रद्द कर दिया गया था। पहले गेम्स में जर्मनी के जिमनास्ट कार्ल शुहमान सबसे सफल खिलाड़ी रहे थे, जिन्होंने चार स्पर्धाएं जीतीं थीं। भारत ने ओलंपिक खेलों में 1900 में खेलना शुरू किया था।
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