दिल्ली-लखनऊ के बीच चलेगी देश की पहली 'प्राइवेट ट्रेन तेजस'
केंद्र सरकार ने रेलवे में निजीकरण की दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है। इसका संकेत बजट में भी दिया गया था कि सरकार निजीकरण के प्रयासों को बढ़ावा देगी। हालांकि सरकार के इस निर्णय का रेल यूनियन ने विरोध किया है। खबर है कि दिल्ली और लखनऊ के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस देश की पहली प्राइवेट ट्रेन होगी। इसके लिए आईआरसीटीसी से कहा गया है कि वह इसके बारे में प्रस्ताव को 10 जुलाई तक अंतिम रूप दे।
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तेजस में होंगी हवाई जहाज जैसी सुविधाएं
बता दें कि रेलवे ने अपने 100 दिन के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए शुरू में दो प्राइवेट ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है। इसी के तहत तेजस के निजीकरण का फैलसा किया गया है। तेजस देश पहली 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने में सक्षम इस ट्रेन में हवाईजहाज जैसी सुविधाएं होंगी। इस ट्रेन के हर डिब्बे को बनाने में 3.25 करोड़ रुपये की लागत आई है। इसके ऑटोमैटिक दरवाजे ट्रेन चलने के साथ ही बंद हो जाते हैं और ट्रेन रुकने के बाद ही खुलते हैं।
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दूसरी तेजस ट्रेन भी चलाने की है तैयारी
रेलवे बोर्ड पहली दिल्ली-लखनऊ मार्ग में तेजस ट्रेन चलाने के अलावा दूसरे 500 किमी दूरी के मार्ग के चयन में जुटी है। इस रूट पर दूसरी प्राइवेट ट्रेन चलाई जाएगी। दिल्ली तेजस एक्सप्रेस को चलाए जाने का ऐलान 2016 में हुआ था, लेकिन इसे नए टाइम टेबल में जगह दी गई है। दिल्ली-लखनऊ रूट पर तेजस ट्रेन का लंबे वक्त से इंतजार था।
बता दें कि दिल्ली-लखनऊ रूट पर वर्तमान में 53 ट्रेन चल रही हैं। इस ट्रेन की कस्टडी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) के पास रहेगी, जिसके लिए उसे रेलवे बोर्ड को भुगतान करना होगा। इसमें लीज चार्ज और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (IRFC) की अन्य मदें शामिल हैं। हालांकि, सरकार के इस फैसले पर नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे मेन (NFIR) ने आपत्ति जताई है और आरोप लगाया है कि बजट से यह बात उजागर हो गई है कि सरकार रेलवे में निजीकरण को आगे बढ़ना चाहती है।
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